इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के क्या-क्या हैं नेगेटिव प्रभाव?

टाइम की बर्बादी

गैजेट्स का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बड़ों दोनों पर हो रहा है. बच्चों को जिस उम्र में पढ़ने-लिखने और करियर पर ध्यान देना चाहिए. उस उम्र में वे इन गैजेट्स से चिपके रहते हैं. वह अपना ज्यादातर समय Facebook, Whatsapp, Instagram और PUBG खेलने में व्यर्थ कर रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग अच्छा सीखने के लिए करना चाहिए. और गेम कभी-कभी खेलना ठीक है न कि हमेशा गेम में रहना.

आँखों की रोशनी कमजोर होती है

लगातार स्क्रीन पर देखने से लोगों की आँखे कमजोर होती जा रही हैं. बहुत से लोग मोबाइल, लैपटॉप आदि की स्क्रीन में घुस कर बैठ जाते हैं. उन्हें बीच-बीच में ब्रेक लेना चाहिए. ऐसा न करने से वजह से उनकी आँखे लाल होने लगती हैं और आँखों में से पानी आने लगता है. इसलिए इन गैजेट्स से थोड़े-थोड़े समय से दूरी बनाते रहें.
एंटी ग्लेयर स्क्रीन का उपयोग करें ताकि आँखों पर दबाव कम पड़े.

समाज से दूरी

मोबाइल इत्यादि की बदौलत आज युवा वर्ग वर्चुअल दुनिया में जीने लगा है. वह अपनी अलग ही दुनिया बना लेते है. जिस कारण वह रियल वर्ल्ड यानी समाज से दूर होने लगते हैं. वर्चुअल दुनिया में अपनी मनमानी करने के लिए आजाद होते हैं क्योंकि उन्हें वहां कोई रोकने वाला नहीं होता है.

स्वभाव में चिड़चिड़ापन

ज्यादा समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर बिताने के कारण स्वभाव में चिडचिड़ापन आने लगता है. एक मिनट के लिए कोई मोबाइल मांग ले तो यह इस तरह रिएक्ट करते हैं जैसे किसी ने इनसे इनकी जिंदगी मांग ली हो. चार्ज खत्म होने पर चार्जिंग की तरफ ऐसे दौड़ते हैं जैसे इनकी साँसे जाने वाली हों. गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से स्वभाव में अंतर आने लगता है और लोग थोड़ी सी बात पर चिढ़ जाते हैं. इससे बचने के लिए खाली समय में अपने शौक को पूरा करें या फिर अपने परिवार के साथ समय बिताएं.

याद रखने की शक्ति का कमजोर होना

गैजेट्स के साथ ज्यादा समय बीताने के कारण लोगों की स्मरण शक्ति कमजोर हो रही है. कई बार तो आधा घंटे पहले की बात तक लोगों को याद नहीं रहती. यह भी एक कारण है जिसकी वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों का पढ़ाई से मन उठने लगा है क्योंकि उन्हें कुछ भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता.

आपराधिक गतिविधियों में शामिल होना

सोशल मीडिया पर जो भी बताया जाता है बच्चे उसे सच मान लेते हैं. इसकी मदद से शातिर लोग बच्चों और युवाओं का ब्रेन वाश करते हैं. कुछ लोग तो युवाओं का ब्रेन इस तरह वाश करते हैं कि युवा आतंकवादी तक बन जाता है. आपने ब्लू व्हेल गेम का नाम तो सुना ही होगा जिसने न जाने कितने लोगों की जाने ले ली.

तो देखा आपने कि किस तरह इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स हमारे जीवन पर बुरा असर डाल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के कई सारे फायदे भी हैं जैसे इसकी मदद से हमारे कई सारे काम आसानी से हो जाते हैं. वह चाहे बात नई चीज़े सीखने की हो या फिर घर पर बैठे-बैठे सामान मंगाने की. इनके इस्तेमाल से आप कहीं और कभी भी कोई भी जानकारी बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. 
यदि आपके मन में इस लेख से जुड़ा कोई भी सवाल हो या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के क्या-क्या हैं नेगेटिव प्रभाव? इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के क्या-क्या हैं नेगेटिव प्रभाव? Reviewed by Mithlesh Yadav on जून 01, 2019 Rating: 5

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